सूरज और हवा में हो गई बहस

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एक दिन हवा ने सूरज को अपनी शक्ति का अहसास कराने का मन बनाया। वह सूरज से कह रही थी कि वह उससे ज्यादा ताकतवर है। हवा कह रही थी कि मैं सबको उड़ा सकती हूं। मैं बादलों को बहाकर ले जाती हूं। बड़े बड़े पेड़ों को गिरा देती हूं, इसलिए मैं ताकतवर हूं।
मेरी शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सकता। सूरज शांत होकर हवा की बात सुनता रहा। जब हवा को अपनी शक्ति का परिचय देते हुए काफी देर हो गई तो सूरज ने कहा, चलो हम दोनों मुकाबला करते हैं।
सूरज ने धरती पर एक व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा,उसे देख रही हो हवा। हम दोनों में जो उस व्यक्ति की कमीज उतार दे, वही शक्तिशाली है। क्या तुमको यह चुनौती मंजूर है।
हवा ने कहा, इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई। हवा ने उस व्यक्ति की कमीज उतारने के लिए पूरी ताकत लगा दी। वह व्यक्ति हवा के झोंके में उड़कर कहीं दूर जा गिरा, लेकिन उसकी कमीज नहीं उतरी।
अब सूरज की बारी थी। सूरज पहले से ज्यादा तेजी से चमकने लगा। धरती पर गर्मी बढ़ने से व्यक्ति परेशान हो गया। वह तुरंत नदी पर पहुंचा और अपनी कमीज उतारकर नहाने के लिए पानी में घुस गया। इस तरह सूरज की जीत हो गई। कहानी का संदेश यही है कि किसी पर दबाव बनाकर जीतने की ख्वाहिश करने से ज्यादा अच्छा है कि अपनी काबिलियत से विजय हासिल की जाए।

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